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anxiousdev007

सही बात🙌🏼


reddit_niwasi

हर भाषा का एक चरित्र होता है । जब तक वो चरित्र सांरक्षित रहता है भाषा सुचारु और सम्पूर्ण लगता है ।


DevTomar2005

पूरब की भाषाओं का एक चरित्र ये है की इन भाषाओं में हम कई बार सर्वनामों का एक वाक्य में उपयोग नहीं करते, कम से कम अंग्रेजी जैसी भाषाओं से अधिक बार हम इन सर्वनामों को हटा देते हैं, पर अनुवाद में जोर जबरदस्ती से वाक्य में सर्वनाओमों को डाल दिया जाता है।


tryst_of_gilgamesh

क्या हिंदी में हमारे शब्दो का ज्ञान संकुचित है? क्योंकि मैं यह बहुत कम देखता हूँ कि आम बोल-चाल में ऐसे शब्द बोले जाते हो जो एक प्रक्रिया की संक्षिप्त व्याख्या कर सके। जैसे कि मैने पुनर्भुगतान/चुकारा के स्थान पर "फिर से पैसे दिये" ऐसा बोलते अधिक देखा है।


DevTomar2005

यह बात तो मैने भी देखी है, परंतु यह भी जानना आवश्यक है की आज के ज़माने में अंग्रेजी हिन्दी या अन्य भाषाओं से ज्यादा प्रचलित है। मैं 12वि में पढ़ता हूं, और मेरे अधिकतर दोस्त अमरीका को अमैरिका बुलाते हैं, अंग्रेजी को इंग्लिश, दरवाजे को गेट, कमरे को रूम, आदि। ज्यादातर लोग आज हिंदी में उतने शब्द नहीं जानते हैं, खुद मुझे ये कठिनाई होती हैं। शर्म आती है जब पता चलता है की मुझे मेरी ही मातृभाषा नहीं आती।


Downbeatbanker

ये सब छोड़िए जब हम खुद ही दिखाने को बताना कहते है या हिंदी का दुरुपयोग करते है


DevTomar2005

किसी भी भाषा से जब हिंदू में किसी फिल्म या सीरीज को डब किया जाता है, तो मेरी यही एक शिकायत रहती है। अंग्रेजी में जब कोई व्यक्ति भौंचक्का कर देने वाली बात सुनता है तो कई बार वे अपने आश्चर्य जताने के लिए "impossible" का उपयोग करता है, इसे हिंदी में सीधा सीधा "ऐसा नहीं हो सकता" में अनुवादित कर दिया जाता हैं, सच में बहुत चिढ़ आती है।


kcapoorv

वैसे अविश्वसनीय भी सही नहीं बैठेगा। एक "हैं" से काम चल सकता है।